Why "A" Student work for "C" student. book review in Hindi


एन एजुकेशनल क्राईससिस (An Educational Crisis)

फर्स्ट वाले चैप्टर में रोबर्ट टी. कियोसाकी(Robert T. Kiyosaki) आर्ग्यू( argues) करते है कि फाईनेंशियली इम्पोर्टेंट स्टफ(financially important stuff) स्कूल में नहीं बल्कि घर में पढाया जाना चाहिए. स्कूल और यूनिवरसिटीज़(universities) में बच्चो और टीनएजर्स का नंबर फास्ट इनक्रीज हो रहा है हालांकि अभी करिकुलर्स(curricula) में फाईनेंशियल एड्जुकेश को उतनी इम्पोर्टेंस नहीं मिली है. ये बुक फाईनेंशियल एक्सपीरिएंस (financial experience) देगी जिसके बारे में आपने स्कूल में थोडा बहुत पढ़ा. ऑथर मानते है कि फाईनेंशियल क्राईसिस की वजह गरीब और अन एजुकेटेड लोग नहीं है बल्कि अमीर लोग है. आज की एजुकेशनल सिस्टम में लांगेस्ट लेग इन टाइम यानी कि टाइम गेप काफी ज्यादा है. अ लेग इन टाइम(A lag in time) किसी आईडिया के कंसीविंग (conceiving) और उसके एक्चुअल इम्प्लीमेंटिंग(actually implementing) के बीव काडिफ़रेंस होता है. एक बार आप इस बुक से ये नॉलेज लेंगे तो आगे अपने बच्चो को भी ये नॉलेज पास कर सकते है. ताकि आप उन्हें बगैर पैसे दिए भी फाईनेंशियल हेड स्टार्ट दे सके. रोबर्ट टी. कियोसाकी ने डिसाइड किया कि वो आर्मी की अपनी जॉब छोडकर ऐसे सब्जेक्ट की स्टडी करेंगे जिनके बारे में स्कूल या कॉलेज में रूटीनली नहीं पढ़ाया जाता.


द फेयरी टेल इज ओवर (The Fairy Tale Is Over)

पुराने टाइम में लाइफ किसी फेयरी टेल जैसी ईजी होती थी जहाँ आप कॉलेज जाकर डिग्री लेते थे और किसी किसी कंपनी में आपको एक हाई पेईंग जॉब मिल जाती थी जिससे आप अपने सारे स्टूडेंट लोन्स चुका देते थे. लेकिन बदकिस्मती से अब वो बात नहीं रही. आजकल एक स्टूडेंट की लाइफ किसी रोड ट्रिप जैसी होती है, पहले कॉलेज जाना, ग्रेजुएट होना, और स्टूडेंट लोन्स के साथ-साथ इंटरेस्ट भी बढ़ता जाता है जो एक्चुअल में स्टूडेंट्स को और भी पूअर बना देता है. और ऊपर से अनएम्प्लोयमेंट क्राइसिस (unemployment crisis) की वजह से ना सिर्फ अमेरिका बल्कि सारी दुनिया के स्टूडेंट्स जॉबलेस घूम रहे है और ये साइकल(cycle) चलता जाता है. पेरेंट्स सोचते है कि हमारे बच्चे को कॉलेज में एडमिशन मिल गया तो बस अब उसकी लाइफ सेट है. कॉलेज में एडमिशन मिलना कोई लाइफ जैकेट नहीं है और जिस हिसाब से अनएम्प्लोयेमेंट (unemployment) बढती जा रही है और लोग लो वेजेस पे काम कर रहे है उससे यही प्रूव होता है. कई मशहूर केरेक्टर्स जैसे ज्योर्ज वाशिंगटन (George Washington) और बेंजामिन फ्रेंकलिन(Benjamin Franklin ) ने तो अपनी स्कूली एजुकेशन भी फिनिश नहीं की थी. पॉइंट ये है कि आपको वो सब्जेक्ट्स पढने चाहिए जो आपको फ़ूड चेन के टॉप तक ले जाये. रोबर्ट टी. कियोसाकी का माइक नाम का एक फ्रेंड था जिसके पापा का निकनेम रोबर्ट के अकोर्डिंग(according) “रिच डैड” था. रिच डैड मोस्ट ऑफ़ द टाइम रोबर्ट के साथ मोनोपोली खेला करते थे जो रोबर्ट के लिए एक आई ओपनिंग(eye-opening) एक्स्पिरियेंश था. लेकिन रोबर्ट के डैड को ये बात पंसद नहीं थी, उन्हें लगता था कि उसे खेलने के बजाये अपना होमवर्क करना चाहिए. रोबर्ट रिच डैड के लिए फ्री में काम किया करता था क्योंकि रिच डैड रोबर्ट के माइंड से पैसे के लिए काम करने का आईडिया मिटा देना चाहते थे. वो चाहते थे कि रोबर्ट एक कैपेटीलिस्ट(capitalist) बने. फ्यूचर में रोबर्ट में फाईनेनशियल एजुकेशन के लिए कई सारी कंपनीज खोली जहाँ बोर्ड गेम्स प्रोड्यूस किये जाते थे जिससे लर्निंग एक्स्पिरियेंश ईजीयर(easier)और फन हो. दूसरी की थी मनी के बारे में आर्ग्यूमेंट के बजाये ओपनिंग डिस्कसन करना. मनी प्रॉब्लम हर घर में डिस्कस होनी चाहिए ताकि इस बारे में ज्यादा नॉलेज इनक्रीज हो और ऐसे सोल्यूशन मिल सके जो नॉर्मली किसी के माइंड में नहीं आते है.

प्रीपेयर योर चाइल्ड फॉर द वर्स्ट (Prepare Your Child For The Worst)

ओनेस्ट (honest) और रयूड(rude) होने के बीच में एक फाइन लाइन है. सेम चीज़ अप्लाई होती है जब आप अपने बच्चे को फ्यूचर के लिए प्रीपेयर करे. अपने बच्चो को लाइफ की रियेलिटीज़(life realities)से बचाने की कोशिश ना करे और ना ही ओवर प्रोटेक्टिव प्रेरेंट्स बने. उन्हें फ्यूचर के लिए प्रीपेयर करे. बच्चो के सामने 4 मेन प्रोब्लम्स आती है जो उन्हें शायद फेस करनी पड़े. और उन्हें इसके लिए रेडी रहना चाहिए. फर्स्ट प्रॉब्लम है बड़े होने की. अब यहाँ प्रॉब्लम ये है कि डेकलाइनिंग (declining)इकोनोमीके साथ गवर्नमेंट के पास इतने रिसोर्सेस(resources) नहीं होंगे कि सबको ज़रूरी हेल्थकेयर फेसिलिटीज़ और पेंशन वगैरह प्रोवाइड की जा सके. और बढती उम्र अपने साथ कुछ प्रॉब्लम्स भी लेकर आती है जैसे कि मल्टी-जेनेरेश्नल हाउसिंग (multi-generational housing) मतलब कि पेरेंट्स बच्चो के घर रहने चले जाते है या फिर बच्चे पेरेंट्स के घर मूव हो जाते है. केस जो भी हो लेकिन इससे हाउस ओनर के खर्चे ज़रूर बढ़ जाते है. एक और मेजर प्रॉब्लम है हेल्थ-केयर जोकि गवर्नमेंट के टैक्स का सारा पैसा चूस लेती है. हमारे बच्चो की सेकंड मेजर प्रॉब्लम है कम्पाउंड डेट (compound debt) जिसे आइन्स्टाइन(Einstein) ने दुनिया के मोस्ट पॉवरफुल फ़ोर्स के रूप में डिसक्राइब किया है. थर्ड प्रॉब्लम है न्यू डिप्रेशन. क्या कमिंग डिप्रेशन (coming depression) 1929 के ग्रेट यू.एस. डिप्रेशन के जैसा हो होगा जहाँ सेवर्स विनेर्स थे या फिर 1920 के जर्मन हाइपरइन्फ्लेशन (German hyperinflation) के जैसा जहाँ डेटर्स यानी उधारी वाले विनर्स थे. हमारे बच्चो को दोनों ही सिनेरियोज़ (scenarios) के लिए रेडी रहना होगा. फोर्थ चैलेन्ज (fourth challenge) है हाई टैक्स (taxes) आने वाले फ्यूचर में टैक्स और भी हाई होंगे क्योंकि ज्यादा मनी प्रिंट करने के लिए ज्यादा टैक्सेस लगाने होंगे. और ज्यादा कोम्प्लेस्क(complex) वाली बात ये है कि वेलफेयर प्रोग्राम्स( welfare programs) को ज्यादा फण्ड की ज़रूरत पढेगी जिसे कि टैक्स फंड करते है. एक डायाग्राम (diagram) है जिसे कैश (cash flow diagram)के नाम से जाना जाता है. ये वर्कफ़ोर्स को एम्प्लोयीज़ (employees) में डिवाइड करता है स्माल बिजनेस, बिग बिजनेस और इन्वेस्टर्स. इस डायाग्राम(diagram)की सिग्नीफिकेसं (significance) ये है कि इसमें हर सेक्टर का टैक्स पेमेंट का परसेंटेज डिफरेंट है. स्माल बिजनेस और एम्प्लोयीज सेक्टर सबसे ज्यादा टैक्स पे करता है. इसीलिए अपने बच्चो को स्कूल भेजने और उन्हें एक अच्छी सी सिक्योर जॉब करने के लिए एंकरेज (encourage) करने का ये मतलब भी होगा कि आप उन्हें हाईर अमाउंट ऑफ़ टैक्स पे करने के लिए भी बोल रहे है. इसके पीछे आईडिया यही है कि ऐसा सेक्टर चूज़ किया जाए जहाँ आपको कम टैक्स देना पड़े. हालांकि बच्चो को डिफरेंट सेक्टर्स के बारे में पता होना चाहिए ताकि वे अपने चॉइस के हिसाब से डिसाइड करे कि उन्हें क्या बनना है. किसी बड़े बिजनेस को ज्वाइन करना या इन्वेस्टर सेक्टर में जाने के की कोई स्पेशिफिक एजुकेशन लेवल या एज नहीं होती. इसके लिए सिर्फ हार्ड वर्किंग और ट्रस्टवर्थी(trustworthy) लोगो का साथ चाहिए. एक पेरेंट का सबसे क्रूशियल रोल (crucial roles) होता है अपने बच्चे में लर्निंग की हैबिट डेवलप कराना. अगर आपके बच्चे ने बी और आई सेक्टर ज्वाइन करना सीख लिया तो फिर कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो कौन सा प्रोफेशन चूज़ करेगा. ऑथर को लगता है कि टैक्सेस गरीबो का पैसा चुराने का एक तरीका है बस और टैक्स पे करना कोई नेशनल ड्यूटी नहीं होती. और इस चोरी के पीछे की वजह है लैक ऑफ़ फाइनेनशियल एजुकेशन (lack of financial education) और एक कहावत है कि” जो पास्ट याद नहीं रखते, अक्सर इसे दोहराते है” “दोज़ देट केननोट रिमेम्बर द पास्ट आर कंडेमनड टू रिपीट इट”("Those that cannot remember the past are condemned to repeat it) पास्ट जेनेरेशन ने हिस्ट्री (history) से कुछ नहीं सीखा. आज की दुनिया को टैक्सपेयर्स के रूप में जाना जा सकता है जो डे बाई डे गरीब होते जा रहे है और बैंकर्स अमीर होते जा रहे है. अपने बच्चे को फाईनेंशियल हेड स्टार्ट (financial head start) देने के लिए रियल लाइफ प्रोब्लम्स को चैलेन्ज की तरह ले जहाँ आप उसे डिफरेंट सोल्यूशन ऑफर करे और उसके साथ मैटर डिस्कस करे.



विंडोज ऑफ़ लर्निंग (Windows Of Learning)

जैसे जैसे बच्चे बड़े होते है उन्हें पैसे की इम्पोर्टेंस पता चलती है. आपका बच्चा 1 और 5 डॉलर के बिल में डिफ़रेंस समझनेलगे तो उसकी फाईनेंशियल एजुकेशन स्टार्ट कर दो. हम बच्चे की लाइफका लर्निंग फेस 3 विंडोज में डिवाइड कर सकते है. फर्स्ट विंडो है क्वांटम लर्निंग (quantum learning) जोकि पैदा होने से 12 इयर्स की एज के बीच है. ये लर्निंग का वो फेस है जहाँ पेरेंट्स को पता चल जाता है कि उनका बच्चा अपने ब्रेन का लेफ्ट हिस्सा ( म्यूजिक और आर्ट्स में ज्यादा इंटरेस्ट) ज्यादा यूज़ करता है या राईट हिस्सा( लीनियर बुक्स वगैरह में ज्यादा इंटरेस्ट). टीचिंग के लिए गेम्स को बेस्ट टूल इसीलिए माना जाता है क्योंकि ये सेम टाइम में हमारे ब्रेन के दोनों हिस्सों के एंगेज रखता है जोकि लर्निंग प्रोसेस को इमोशनल और मेंटल दोनों बनाती है. फर्स्ट लर्निंग विंडो की सिग्निफिकेसं (significance) यही है कि हमारा ब्रेन अनयूज्ड पार्ट्स (unused parts) को इरेज(erase) कर देता है और यही वजह है कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ लर्निंग डिफिकल्ट होती जाती है. लर्निंग के सेकंड विंडो को रेबेलियस फेस (rebellious phase) कहा जाता है. ये 12 से 24 की एज के बीच होता है. इस तरीके की लर्निंग में बच्चे पेरेंट्स की बातो के कोंट्रेडिक्ट(contradict)  बिहेव करते है यानी पेरेंट्स जो बोलते है उसके अपोजिट चलते है. बच्चे ऐसा इसलिए करते है क्योंकि उनमे क्यूरियोसिटी होती है. इस पीरियड की सिग्निफिकेस ये है कि टीनएजर्स इस फेस में अपने एक्स्पिरियेंश से लर्न करते है. थर्ड लर्निंग विंडो 24 से 36 के बीच की एज में होता है. ये वो टाइम है जहाँ एक एडल्ट प्रोफेशनल लर्निंग करता है और उसकी फेमिली लाइफ स्टार्ट हो चुकी होती है. इस फेस की सिग्नीफिकेसं है कि लाइफ अचानक पैसे के पीछे घूमने लगती है. अगर आपने पहले वाले दो फेसेस में अच्छे से लर्न किया है तो बैटर चांस है कि आपका थर्ड फेस अच्छा रहेगा. रोबर्ट एक स्टोरी बताते है कि कैसे उनके रिच डैड उन्हें गेम्स ऑफ़ मोनोपोली सिखाया करते थे. रिच डैड का मानना था कि फाईनेंशियल स्टेटमेंट(‘financial statement’) एक बड़ा इम्पोर्टेंट डोक्यूमेंट(important document) है जो आप ग्रेजुएशन(graduation) के बाद ले सकते है. रिच डैड दो बड़े एफिशिएंट तरीके से सिखाते थे जिससे काम्प्लेक्स स्टफ भी सिम्पलर और रीपीटेटिवलगता था. आज रोबर्ट जो कुछ है उसमे इन दो एलीमेंट्स का बड़ा हाथ रहा है. रिच डैड ने उन्हें समझाया कि एसेट्स(assets) और लायेबिल्टी(liabilities) दो इम्पोर्टेंट चीज़े है. उन्होंने समझाया कि एसेट्स(assets) पैसे आपकी जेब में डालती है और लाएबिलिटी(liability)पैसे आपकी जेब से निकलवाती है और ये समझना रोबर्ट के लिए एकदम सिम्पल था. रोबर्ट क्लियर करते है कि पेरेंट्स को अपने बच्चो से हमेशा गुड ग्रेड्स की उम्मीद नहीं करनी चाहिए बल्कि ये जानना ज्यादा इम्पोर्टेंट है कि उनके बच्चे किस फील्ड में जीनियस है . नेक्स्ट वो कुछ टिप्स देते है ताकि आप बी और आई सेक्टर्स में बेस्ट बन सके. पहली बात ये कि आपको हर फील्ड में बेस्ट लोग रिक्रूट(recruit) करने होंगे जो आपके बेस्ट एडवाइजर(advisors) बन सके. सेकंड चीज़ कि आपको अपनी मदर लेंगुएज( mother language) की ही मल्टी लेंगुएज सीखनी होगी यानी हर प्रोफेशन की लेंगुएज. फाइनली आपको हर किसी के साथ रिस्पेक्टफूली पेश आना सीखना होगा. जब आप एम्प्लोयीज़ को रिस्पेक्ट देते है तो वे भी 10 गुना ज्यादा मेहनत करते है और वो भी सेम सेलेरी में. बिजनेस इंडस्ट्री का एक और इम्पोर्टेंट पॉइंट ये है कि बिजनेस कोई डेमोक्रेसी नहीं है. एम्प्लोयीज़ को वही करना पड़ता है जो उनके एम्प्लायर (employer ) उनसे चाहते है. उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया जाता कि काम कैसे करना है . कोनसीक्वेंटली (Consequently) एम्प्लायर(employer) ही सारे लोस अफोर्ड करता है नाकि एमप्लोयीज़ (employees). ए और सी स्टूडेंट्स के बीच मेजर डिफ़रेंस यही है कि ए स्टूडेंट फाईनेंशियल सिक्योरिटी (financial security) देखता है जबकि सी स्टूडेंट हमेशा ऐसे डिसीज़न लेकर रिस्क लेने को रेडी रहता है जो उसकी फाईनेंशियल लाइफ को लाइन पर लाकर रख देते है. ए स्टूडेंट्स बैड पीपल नहीं है, बस वो थोडा ऐसे रिस्क लेने में डरते है जो उन्हें एकदम अमीर या गरीब बना दे. अगर आपको एक एंटप्रेन्योर(entrepreneur) बनना है तो आपको किसी भी सेल्स ट्रेनिंग रूट में खुद को एस्टेबिलिश(establish)करना होगा. फिर आपको लर्न करना होगा कि कैपिटल के लिए ओपीएम् (OPM)यानी (अदर पीपल्स मनी) कैसे यूज़ की जाए. इसका एक तरीका है आप रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट कोर्सेस (real estate investment courses)की हेल्प ले. हर बच्चे को हमेशा एक्टिव लेर्नर होना चाहिए फिर चाहे उनका फील्ड कुछ भी हो. इसका पीछे पॉइंट ये है कि वे जो चाहे फील्ड चूज़ करे उसमे मनी इनकार्पोरेटेड (money incorporated) ज़रूरी है. और यही वजह है कि पेरेंट्स बच्चो की फाईनेंशियल एजुकेशन जितनी जल्दी पोसिबल हो उतना बैटर होगा. एक और चीज़ कंसीडर करनी चाहिए कि हम अपने पास्ट एक्पिरियेंश से लर्न करे, जो हो गया उसका रिग्रेट ना करे बल्कि अपने एक्स्पिरियेंश में भी कुछ अच्छी चीज़ ढूढे.


व्हाई वेलेडिक्टोरियंस फेल (Why Valedictorians Fail

फूटबाल प्लेयर्स को देखो, क्या आपको लगता है कि जो प्लेयर एक्स्ट्रा ओर्डिनेरी (extraordinary moves)लेता है और नार्मल से हटकर खेलता है, उसे ज्यादा एप्रीशियेट (appreciate)किया जाता है या उस प्लेयर को जो सेफ, सिक्योर मूव्स (secure moves) लेता है ? सेम चीज बिजनेस लाइफ में भी अप्लाई होती है. स्टडीज से (Studies) ये प्रूव हो चूका है कि जो स्टूडेंट अच्छे ग्रेड्स लाते है ज़रूरी नहीं कि आगे चलकर उन्हें हाई सेलेरी जॉब ही मिलेगी. एक स्टूडेंट रूल्स फोलो करने में अच्छा हो सकता है लेकिन ज़रूरी नहीं कि वो कुछ एक्स्ट्राओर्डिनेरी (extraordinary) करेगा. और एक स्टूडेंट ये सोचते हुए बड़ा होता है कि मिस्टेक करना बुरी बात है और यही चीज़ उसे एक सिक्योर फेस में रहने को मजबूर कर देती है. और जैसा कि फूटबाल के एक्जाम्पल से हम बोल सकते है कि एक डिफेंडर बनकर सक्सेसफुल होने का मतलब ये नहीं कि आपको अटैकर बनकर भी सक्सेस ही मिलेगी. एस और ई सेक्शन (S or E sections) की सक्सेस बी या आई सेक्शन की सक्सेस की गारंटी नहीं है.



व्हाई रिच पीपल गो ब्रोक (Why Rich People Go Broke)

ये रियल स्टोरी है जो बताती है कि लाइफ में चेंज की इम्पोर्टेंस है और इसे कैसे समझे. ओल्ड टाइम्स में ग्रीस काफी स्ट्रोंग नेशन हुआ करता था जिसने बाकि दुनिया को आर्ट, नॉलेज ऑफ़ अल्फाबेट वगैरह दिया. बैंकरप्सी(bankruptcy)के बाद से ग्रीस अब दुनिया के इकोनोमिकली वीक(economically weak) देशो में से एक है. अगर ग्रीक प्रेजिडेंट (presidents) ये बात समझ लेते कि बदलाव को रोका नहीं जा सकता तो आज ग्रीक के हालात शायद डिफरेंट होते. एक चीज़ जो वक्त के साथ बदल रही है लेकिन स्कूल्स में नहीं सिखाई जाती वो है कंटेंट वर्सेज कंटेक्स्ट (ontentvs context) स्कूल्स कंटेंट पर फोकस करता है जैसे कि रीडिंग और राईटिंग लेकिन ये कन्टेक्स्ट यानी पर्सन पर फोकस नहीं करता है. अपना कंटेक्स्ट चेंज करना लाइफ सेविंग हो सकता है. वो टोन चेंज कर दो जिस टोन में तुम खुद से बात करते हो, “आई विल नेवर बी रिच” के बदले खुद को बोलो” ब्रिंग ओं मोर चैलेंज”. अगर आप रिच बनना चाहते है तो थ्री टाइप की इनकम को समझना ज़रूरी है; ओर्डिनेरी, पैसिव और पोर्टफोलियो. ओर्डिनेरी है पेचेक मनी और जिस पर सबसे ज्यदा टैक्स लगता है. पैसिव है जब आपको कैपिटल गेन्स मिलता है और पोर्टफोलियो होता है रेंटल मनी जिस पर सबसे कम टैक्स होता है. 7 टाइप की इंटेलीजेन्स होती है जो डिफरेंट माइंड के लोगो में पायी जाती है. और ये है वेर्बल लिंगुयेस्टिक (verbal-linguistic) लोजिकल मैथमेटिकल ( logical-mathematical)बॉडी काईनेथस्टिक (body-kinesthetic) स्पेटिअल(spatial) म्यूजिकल इंटरपर्सनल ( musical interpersonal)और इंट्रापर्सनल (intrapersonal) और सक्सेस के लिए मोस्ट इम्पोर्टेंट है इंट्रापर्सनल इंटेलीजेन्स (intrapersonal intelligence) जहाँ कोई पर्सन कोई भी एक्शन लेने से पहले खुद से सवाल करता है. हाई इंट्रापर्सनल इंटेलीजेन्स (high intrapersonal intelligence) वाले लोगो को अक्सर ऐसे डिसक्राइब किया जाता है” ही इज कूल अंडर प्रेशर”.
कुछ लोग इमोशनली डेवलप नहीं हो पाते हालाँकि वे फिजिकली और मेंटली डेवलप होते है. लेकिन ये चीज़ बिजनेस वर्ल्ड के लिए हार्मफुल है और ऐसे लोग माइंड ग्रास्प (grasp) नहीं कर पाते जोकि मनी ग्रास्प करने से बैटर है क्योंकि आपका माइंड ही आपको रिच बना सकता है.

Why Geniuses Are Generous

व्हाई जिनियेसेस आर जिनियेसे

बच्चो की प्रॉब्लम यही है कि वे टोटली (totally) अपने पेरेंट्स पे डिपेंड करते है. और एक ग्रेटर स्केल में स्टूडेंट्स जो ग्रेजुएट (graduate) है, गवर्नमेंट पे डिपेंड करते है. अमेरिकन्स अब फील करते है कि उन्हें “अमेरिकन ड्रीम” फुलफिल करना का पूरा हक़ है. रोबर्ट टी. कियोसाकी “द बैटल फॉर द सोल ऑफ़ कैपेटा लिज्म” (the battle for the soul of capitalism’) बुक से एक कोट (QUOTE)एक्सप्लेन करते है कि मैनेजरीयल कैपेटिलिस्ट (managerial capitalists )और ट्रू कैपेटीलिस्ट (true capitalists ) के बीच एक मेजर डिफ़रेंस है ‘मैनेजरियल कैपिटालिस्ट्स बिजनेस के ओनर नहीं होते, उन्हें तो बस पेमेंट मिलती रहती है चाहे बिजनेस लोस में हो या प्रॉफिट में. लेकिन ट्रू कैपिटालिस्ट्स (true capitalists) बिजनेस ओनर होते है जो फाईनेंशियल रिस्क लेते है. स्कूल से ग्रेजुएट होने वाले स्टूडेंट्स ज़्यादातर बी स्टूडेंट्स होते है जिनमे से कुछ बाद में चलकर ब्यूरोक्रेट्स बनते है. और ब्यूरोक्रेट्स(Bureaucrats) वो लोग होते है जिनके पास ऑथोरिटी (authority) होती है और हाइली पेड (paid) होते है फिर चाहे वो काम अच्छा करे या बुरा. कुछ लोग शायद ये सोचे कि अगर लोट फाइनेंशियली एजुकेटेड (financially educated) होंगे तो वे और भी ज्यादा ग्रीडी(greedy) होंगे. इनफैकट( In fact) सच्चाई इसके अपोजिट है. जब लोग फाईनेंशियली एजुकेटेड (financially educated) होते है तो वे ज्यादा सिक्योर फील करते है और अपने रिसोर्सेस (resources) पे कण्ट्रोल रखते है. कोई भी कैपेटीलिस्ट (capitalist) ग्रीड़ी(greedy) लोगो से बच कर नहीं जा सकता. लेकिन ये भी सच है कि अगर बैड पार्टनरशिप है तो गुड पार्टनरशिप भी है. लोगो के ग्रीडी (Greedy) होने की वजह बेसिकली प्रॉपर स्कूल एजुकेशन ना मिल पाना है जो “मासलो’स सेकंड लेवल: सिक्योरिटी “ (‘Maslow's second level: Safety') में फेल हो जाते है. और मेन प्रोब्लम है कि जब स्कूल्स मासलो’स सेकंड” लेवल फुलफिल करने में फेल होते है तो उसका रिजल्ट होता है गरीबी में बढ़ोतरी. और फिर ये मोर लेवल ऑफ़ वायोलेंस (more leval of violence) को बढाता है.

पार्ट टू इंट्रोडक्शन (Part Two Introduction

क्यों ए स्टूडेंट्स (A students) बिजनेस लाइफ में कामयाब नहीं हो पाते है? क्योंकि उन्हें यही सिखाया गया है कि सिर्फ एक ही राईट आंसर होता है और ये बात बिजनेस लाइफ में सच नहीं है. और सबसे बड़ी बात कि उन्हें स्कूल्स में पढाये जाने वाले नॉवेल्सजैसे “अ क्रीश्चियन कैरोल” (‘A Christmas Carol’) भी यही आईडिया सपोर्ट करते है. सक्सेसफुल एंटप्रेन्योर्स (Successful entrepreneurs) वो होते है जो अपने माइंड में दो अपोजिंग आईडियाज लेकर चलते है फिर भी एफिशियेंश्ली (efficiently) काम करते है. इस बुक का सेकंड पार्ट मेनली एजुकेशनल इंटेलीजेन्स (educational intelligence) के बारे में है कि कैसे अपोजिंग आईडियाज (opposing ideas) को एक्सेप्ट करके मल्टीपल पॉइंट ऑफ़ व्यू(multiple points of view) को एप्रीशियेट किया जाये. और उन चीजों को एप्रीशियेट करना सीखो जो हमेशा आपको टेबू (taboo) लगते रहे.

द एनटाईटलमेंट मैंटेलिटी (The Entitlement Mentality

जैसे बच्चो को लगता है कि उनके पेरेंट्स को उन्हें फ़ूड प्रोवाइड कराने के लिए एनटाईटल्ड (entitled) है ऐसे ही हमारे स्कूल ग्रेजुएट भी सोचते है कि वो गवर्नमेंट से सिक्योरिटी पाने के लिए एनटाईटल्ड है. यानी गोवेर्नमेंट ही उन्हें जॉब वैगेरह प्रोवाइड कराएगी. ये मेंटेलिटी (mentality) स्कूल्स में ओरिजिनेट (originate) होती है क्योंकि वहां पढ़ाने वाले टीचर्स खुद यही सोचते है कि उन्हें गवर्नमेंट की तरफ से बैटर लिविंग की फेसिलिटीज़ दी जायेंगी.
अनदर पॉइंट ऑफ़ व्यू ओन इंटेलीजेन्स (Another Point Of View On Intelligence
एंटप्रेन्योरशिप (Entrepreneurship) का मतलब ये नहीं कि आप खुद काम करके प्रॉफिट कमाए बल्कि इसका मतलब है कि आप लोगो को हायर करते है और जॉब पर रखते है, उन्हें पे करते है और अपना प्रॉफिट भी कमाते है. एक एक्जाम्पल है मोविंग द लोन (mowing the loan.) जब तक लोन काफी बड़ा नहीं है ये डूएबल ( doable) है. एक बार जब ये बढता जाता है तो आपके लिए ज़रूरी हो जाता है कि आप इसे करने के लिए लोगो को हायर करे. हमे चाहिए कि हम अपने बच्चो को अपोर्च्यूनिटी (opportunities) ग्रेब करना सिखाये (जैसे कि ऐसे लोग ढूंढना जो अपना लोन मोव्ड करवाना चाहते है)  (like finding people who need their loan mowed) और कैसे मिनिमम एफर्ट मे लोगो से काम करवा कर प्रॉफिट कमाना है.

अनदर पॉइंट ऑफ़ व्यू ओं रिपोर्ट कार्ड्स

(Another Point Of View On Report Cards

नार्मल सिक्वेंस कुछ यूं होता है. आप हाई ग्रेड्स के साथ स्कूल पास करते है, आपको एक हाई सेलेरी वाली जॉब मिलती है और फिर आपकी शादी होती है, बच्चे होते है फिर बच्चे के साथ-साथ खर्चे भी बढ़ते जाते है. आप फिर अपने पेरेंट्स से पैसे उधार लेते है और फिर रिस्क पे लाइफ का गुज़ारा चलता है, पेचेक से पेचेक पर डिपेंड रहते है. ये सब ओरिजिनेट होता है स्कूल्स में बैलेंस शीट्स के बदले इनकम स्टेटमेंट पे फोकस करने से. अर्ली एज (early age) से ही फाइनेंशियल एजुकेशन इम्पोर्टेंट है ताकि एस्सेट और लायेबीलिटीज का डिफ़रेंस पता हो और ये पता रहे कि कैसे किसी की लायेबिलिटीज किसी और के लिए एस्सेट बन जाती है. जैसे कि मोर्टेज (mortgage) सिटीजन और बैंक से रिलेटेड है. अपने बच्चो को इन दोनों के बीच का डिफ़रेंस समझाए. ईजी चीजों से स्टार्ट करे जो उन्हें पता हो और उनमे इंटरेस्ट पैदा करे इस बारे में और जानने के लिए. उन्हें फाइनेंशियल स्टेटमेंट की पॉवर बताये कि स्कूल छोड़ने के बाद ये उनकी रिपोर्ट कार्ड होगी.
Another Point Of View On Greedअनदर पॉइंट ऑफ़ व्यू ओन ग्रीड
हम में से बहुतो का ड्रीम होता है कि हम मिलेनियर बने. क्या आप जानते है कि डिफरेंट टाइप के मिलेनियर होते है? फर्स्ट है नेट वर्थ वाले मिलेनियर, ये वो लोग है जिनकी प्रोपर्टी की वर्थ काफी ज्यादा होती है लेकिन इनका कैश फ्लो उतना नहीं होता, इसलिए इन्हें डेली एक्सपेंस की फ़िक्र रहती है. सेकंड होते है हाई इनकम वाले मिलेनियर जो हर मन्थ पेचेक लेते है और इनके पास काफी कैश रहता है. लेकिन ये फिर भी रिस्क साइड पर है क्योंकि उनकी जॉब कभी भी जा सकती है. फाइनली होते है कैश फ्लो मिलेनियर्स. ये वो लोग है जिन्हें अपने एसेट्स से कैश मिलता है और ये सच में काफी रिच होते है. आप अपने बच्चो को मिलेनियर्स के बीच डिफ़रेंस बताये. उन्हें डिफरेंट पॉइंट ऑफ़ व्यू से चीज़े समझाए, उन्हें पूरी फ्रीडम दे जो वे बनना चाहते है. अनदर पॉइंट ऑफ़ व्यू ओन डेट (Another Point Of View On Debt
रिच बनने का एक सबसे एफिशिएंट (efficient) तरीका ये है कि आप डेट(debt)अपने फेवर में यूज़ करना सीखे. डेट(Debt) हैण्ड ग्रेनेड की तरह है, इसे केयरफूली नहीं पकड़ेंगे तो ये आपको ही उड़ा सकता है. अपने डेट (debt) से गोल्ड बनाने के लिए आपके पास प्रॉपर फाइनेंशियल एजुकेशन होनी चाहिए. हालांकि रिस्क बहुत है और जो भी डेट(debt) यूज़ करके रिच बनना चाहता है, एक झटके में सब कुछ गँवा भी सकता है. वर्ल्ड में बहुत से फाइनेंशियल क्राईसेस इसीलिए क्रियेट होते है क्योंकि लीडर्स फाइनेंशियली एजुकेटेड नहीं है. जिसे एस्सेट्स (assets)और लायेबिलिटीज (liabilities) का डिफ़रेंस पता ना हो वो कैसे कंट्री को इकोनोमिकेली सेव कर सकते है? फाइनेंशियल एजुकेशन(financial education) आपके बच्चे को लाइफ में एक हेड स्टार्ट और एडवांटेज देती है जो उन्हें किसी भी टाइप की फाइनेंशियल प्रोब्लम में हेल्प करेगा. देखा गया है कि ऐसे बच्चे लाइफ में कम फाइनेंशियल प्रोब्लम्स फेस करते है जिन्हें पता रहता है कि डिफरेंट टाइप के डेट(debt)क्या होते है और उन्हें कैसे अपने फेवर में यूज़ करे.
अनदर पॉइंट ऑफ़ व्यू ओंन टैक्सेस (Another Point Of View On Taxes
कुछ लोगो को लगता है कि अमीरों पर टैक्स लगाने से कंट्री की इकोनोमिक प्रॉब्लम सोल्व हो जायेगी. अब ज़रा ये सोचो; आप किसी स्मार्ट बन्दे को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहे हो. और इस बात के पूरे चांसेस है कि वो आपकी ट्रिक से बचने का कोई रास्ता ढूंढ निकालेगा. सेम यही टैक्सेस के साथ है क्योंकि अमीर लोग टैक्स से बचने का कोई ना कोई लीगल तरीका ढूंढ ही लेते है.


अनदर पॉइंट ऑफ़ व्यू ओन वर्ड्स (Another Point Of View On Words

वर्ड की पॉवर; वर्ड्स इतने पॉवरफुल हो सकते है कि एक बच्चे के फ्यूचर को अफेक्ट कर सकते है. वर्ड्स हर्ट कर सकते है या हील कर सकते है, एंकरेज(encourage) कर सकते है या डिसकरेज(discourage) कर सकते है. एक मिलेनियर बनना है तो आपको ये समझना पड़ेगा कि हर क्लास की अपनी लेंगुएज होती है, इसलिए आप भी अमीरों की तरह बात करनी स्टार्ट कर दो. मनी की अपनी एक वोक्यूबुलेरी (vocabulary) होती है जो आपको बाई हार्ट लेर्न करनी है एक सक्सेसफुल एंटप्रेन्योर बनने के लिए. मनी वर्ड्स होते है, इनकम, एसेट्स (income, assets)… किसी सेल्सपर्सन के वर्ड्स आपसे वो चीज़ भी खरीदवा सकते है जिसकी आपको नीड नहीं है. और ये आजकल काफी कॉमन हो गया है. फाइनेंशियल एजुकेशन और फाइनेंशियल एडवाईस में एक बड़ा डिफ़रेंस है. एजुकेशन की वैल्यू बड़ी है क्योंकि एजुकेशन आपको बताती है कि क्या करने के लिए क्या स्टडी करना है.जबकि एडवाइस(advice)आपको डायरेक्टली(directly) बताती है कि क्या करना है. अपने बच्चे की वोक्यूबूलेरी (vocabulary) एक्सपेंड करे, उसमे मनी वर्ड्स और उनकी मीनिंग इन्क्ल्यूड(include)करे. उन्हें वर्ड्स की अनलिमिटेड पॉवर के बारे में बताये और ये कि सिम्पल वर्ड्स आपके थिंकिंग का तरीका चेंज कर सकती है और फिर फाइनेंशियल लेवल भी. उन्हें सिखाये कि फाइनेंशियल एडवाइस नहीं बल्कि फाइनेंशियल एजुकेशन इम्पोर्टेंट है.
अनदर पॉइंट ऑफ़ व्यू ओन गॉड एंड मनी (Another Point Of View On God And Money
अगर इसे रिलीजियस पॉइंट ऑफ़ व्यू से लिया जाए तो बाइबल में कुछ वर्सेज (verses) है जो पैसे के बारे में बात करते है. और सबसे बड़ी बात ये कि बाइबल में गरीब, मिडल, अमीर,हर क्लास के बारे में वर्सेज है. इसमें आपको जो सही लगे वो आप चूज़ कर सकते है. रिलिजन के स्प्रीचुअल और रिलीजियस साइड हो सकते है, जैसा कि नाम से ज़ाहिर है, स्प्रीचुअल (spiritual ) साइड लव ऑफ़ गॉड की बात करता है, उसके फियर की नहीं. इसमें मनी जेनेरोसिटी(generosity ) का नतीजा है ग्रीड(greed) का नहीं. ये चीज़ बिजनेस लाइफ में भी अप्लाई होती है, आपको बैटर ट्रीट करने वाले लोग हमेशा मिलेंगे, जो आपके अमीर होते ही आप पर लॉसूट (lawsuits) फाइल कर सकते है. क्योंकि उन्हें भी आपके प्रॉफिट में हिस्सा चाहिए. अपने बच्चे के साथ प्रिंसिपल ऑफ़ फैथ (principles of faith) डिस्कस करे., उसे कांस्पेट ऑफ़ जेनेरोसिटी (concept of generosity) और कैसे इसे रिटर्न करना है ये सिखाये.
द अनफेयर एडवांटेजेस ऑफ़ अ फाईनेंशियल एजुकेशन



The 10 Unfair Advantages Of A Financial Education

अपने बच्चे को अगर सक्सेसफुल बिजनेसमेन बनाना चाहते है तो उसे 10 इम्पोर्टेंट एडवांटेजेस सिखाये. वन, अपने इनकम को ट्रांसफॉर्म करने की एबिलिटी. ये इम्पोर्टेंट क्यों है ? क्योंकि पैसा अपनी वैल्यू खो सकता है जैसा कि 1971 के बाद हुआ था. अगर आपको नॉलेज नहीं है कि अपनी इनकम को कैसे चेंज करे तो आप कभी भी फंस सकते है. नम्बर टू, ज्यादा जेनेरिय्स(generous) बेन. ग्रीड(Greed) मेनली ईन्सिक्योरटी से पैदा होती है. अगर आपका बच्चा पूरी तरह सिक्योर फील करेगा तो वो ज्यादा जेनेरस(generous) होगा. थ्री, लोअर टैक्स, यानी टैक्स में छूट. इसके लिए सिम्पली ज्यादा जॉब प्रोड्यूस करके, हाउसिंग फेसिलिटी वगैरह देकर लोगो को टैक्स में छूट दी जा सकती है जैसा कि गवर्नमेंट को करना चाहिए. फोर, अमीर बनने के लिए डेट(debt) यूज़ करे. जैसा कि कई चैप्टर्स में एक्सप्लेन किया गया है कि गुड डेट (good debt) का यूज़ करके आप और ज्यादा एस्सेट कमा सकते है और अमीर बन सकते है. फाइव, अपने इंकम के मीन्स एक्सपेंड करो. जैसे कि आप 50,000 डॉलर में एक पोर्श(Porsche) लेना चाहते है तो इसके लिए पैसा मत दो, सेम अमाउंट में एक शॉप रेंट करो या खरीद लो. और फिर उससे जो इनकम होगी उससे कार खरीद लो. कुछ और एडवांटेज है जैसे इमोशनल इंटेलीजेन्स, वेल्थ जमा करने के डिफरेंट तरीके समझे, अपने एस्सेट्स प्रोटेक्ट करके रखे, रिटायर यंग और लॉ ऑफ़ कम्पनसेशन(law of compensation) यूज़ करे. आजकल लोगो के एट लीस्ट दो प्रोफेशन तो होने ही चाहिए. एक सेल्फ प्लेजर के लिए और एक पैसा कमाने के लिए. अपने बच्चे को एक्सप्लेन करे कि एजुकेशन का मतलब इक्वेलिटी और बीइंग फेयर होना नहीं है, उसे डिफरेंट टाइप ऑफ़ इनकम के बारे में बताये. उसके लिए एक एक्टिव लर्निंग एनवायरमेंट(environment) क्रियेट करे,जिससे उसे ज्यादा लर्निंग और ज्यादा डिस्कस करने का मौका मिले. उन्हें रियल वर्ल्ड फेस करने के लिए अभी से प्रीपेयर करना स्टार्ट कर दो.
बी द फेड (Be The Fed
अपना खुद का पैसा प्रिंट करने के अलावा क्या ऑप्शन है आपके पास जिससे आप अमीर बन सकते है ? नथिंग (Nothing!) ऐसा तब होते है जब आप किसी कंपनी के ओनर होते है और ये पब्लिक हो जाए. अगर आपको पैसा चाहिए और आपकी कंपनी पब्लिक हो तो सिम्पली ज्यादा शेयर बेचे. इन फैक्ट, कोई भी बिजनेस मनी प्रिंटिंग बिजनेस बन सकता है फिर चाहे आप छोटी सी शॉप में लेमनेड बेचे या किसी बड़ी सी पब्लिक कम्पनी के मालिक हो. अपने बच्चो को अभी से बिजनेसमेन बनने के लिए एंकरेज (encourage) करे. उन्हें एंकरेज(Encourage) करे अपने लिए टीम ऑफ़ एक्सपर्ट बनाने के लिए जो उनकी फ्यूचर प्रोब्लम सोल्व करे.
फाइनल थोट्स (Final Thoughts
घर ही वो जगह है जहाँ बच्चा सबसे पहले सीखना शुरू करता है. अपने बच्चे के लिए एक बेस्ट लविंग होम बनाए. लव एक प्रिशिय्स गिफ्ट (precious gift) है जिसमे कोई पैसा नहीं लगता, अपने घर को इस प्रिशियस गिफ्ट से भर दे. फाइनेंशियल वर्ल्ड की एक प्रॉब्लम ये है कि स्कूल्स की एजुकेशन बदलते वक्त के साथ कदम से कदम मिलाकर नहीं चल पा रही है. फोच्यूनेटली (Fortunately) बच्चे टाइम के साथ चेंज एडाप्ट कर लेते है लेकिन एजुकेशन सिस्टम नहीं कर पाती. इसलिए अपने बच्चो को गेम्स के थ्रू लर्निंग कराते रहे, उन्हें हमेशा एज्गेज रखे. इसके लिए एजुकेशनल गेम्स काफी बेनिफिशियल (beneficial) हो सकते है जिसमें आपका बच्चा लॉन्ग टाइम तक इंटरेस्ट ले सके. लर्निंग बाई एक्जाम्प्ल्स यानी एक्जाम्पल देकर सिखाना शायद टीचिंग का बेस्ट तरीका है. लर्निंग को सेलिब्रेट करे और अपने बच्चे के लिए एक्जाम्पल सेट करे, उसे हमेशा नयी-नयी चीज़े डिस्कवर करने के लिए एंकरेज करे.



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